कच्चा तेल का दाम हुआ 110 डॉलर के पार, महंगे पेट्रोल डीजल के लिए रहें तैयार, 1 महीने में 15 से 20 रु/लीटर हो सकता है इजाफा
अगले 1 महीने की बात करें तो क्रूड में मौजूदा भाव से भी 10 से 15 फीसदी तेजी आएगी. ऐसे में घरेलू स्तर पर आम आदमी को महंगे पेट्रोल और डीजल के लिए तैयार रहना चाहिए.
रूस ( Russia) के यूक्रेन ( Ukraine) के बीच जारी युद्ध के चलते कच्चे तेल के दामों ( Crude Oil Price) में उबाल है. कच्चे तेल के दाम 110 डॉलर प्रति बैरल के एतिहासिक स्तर पर जा पहुंचा है. आपको बता दें मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद ये पहला मौका है जब कच्चे तेल के दाम 110 डॉलर प्रति बैरल के पार गया है. मोदी सरकार जब सत्ता में आई थी तब कच्चा तेल 108 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है था. जिस प्रकार के वैश्विक हालात हैं कच्चे तेल के दामों में और उछाल आने की संभावना जताई जा रही है. ग्लोबल एग्रीमेंट के अनुसार कच्चे तेल की सप्लाई नहीं हो पा रही है। जापान, अमेरिका सहित IEA के सदस्यों ने अपने रिजर्व में से 6 करोड़ बैरल तेल जारी करने की तैयारी की है, लेकिन यह एक दिन के तेल खपत से भी कम है। ऐसे में आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमत और बढ़ सकती है। IEA ने कहा है कि अमेरिका ने अपने ऑइल रिजर्व में से 3 करोड़ बैरल तेल बाजार में जारी किया है। हालांकि, जिस तरह दुनियाभर में तेल की खतप बढ़ रही, रिजर्व में रखे तेल इसके लिए काफी नहीं होंगे। कोरोना से पहले दुनियाभर में रोजाना 10 करोड़ बैरल तेल की खपत हो रही थी।
अब आपको बताते हैं कैसे महंगा कच्चा तेल सरकारी तेल कंपनियों के खजाने पर असर डाल रहा है. कच्चे तेल के दामों में हर एक डॉलर की बढ़ोतरी होने पर सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल डीजल के दामों में 40 पैसे प्रति लीटर तक बढ़ाती हैं. एक दिसंबर 2021 को 68 डॉलर प्रति बैरल के न्यूनत्तम तक छूने के बाद से कच्चा तेल अब 110 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुका है. यानि 42 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा कच्चा तेल पिछले करीब 90 दिनों में महंगा हो चुका है. 5 डॉलर तक कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी के बाद 2 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल डीजल महंगा होता है. अगर रुपये के मुकाबले डॉलर में आई कमजोरी को भी जोड़ ले तो इस हिसाब से सरकारी तेल कंपनियों को अपने नुकसान की भरपाई करने की पेट्रोल डीजल के दामों को करीब 16 रुपये प्रति लीटर तक कम से कम बढ़ाने होंगे. लेकिन चुनावों के कारण उनके हाथ बंधे हैं.
रूस और यूक्रेन के बीच जैसे जैसे टेंशन बढ़ रहा है, तेल की कीमतों में उबाल आ रहा है. इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड यानी कच्चे तेल की कीमतें 111 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. यह क्रूड के लिए करीब 8 साल का हाई है. डबल्यूटीआई क्रूड भी 109 डॉलर प्रति बैरल के करीब ट्रेड कर रहा है. दुनियाभर में सप्लाई कम होने और आगे और शॉर्टेज घटने के अंदेशा के चलते क्रूड में जोरदार उछाल देखने को मिला है. कमोडिटी बाजार के जानकार मान रहे हें कि क्रूड में यह तेजी अभी आगे भी जारी रहेगी. अगले 1 महीने की बात करें तो क्रूड में मौजूदा भाव से भी 10 से 15 फीसदी तेजी आएगी. ऐसे में घरेलू स्तर पर आम आदमी को महंगे पेट्रोल और डीजल के लिए तैयार रहना चाहिए.ग्लोबल फर्म गोल्डमैन सैश, मॉर्गन स्टैनली और JPमॉर्गन ने कच्चे की कीमतों पर भविष्यवाणी की है। इन एजेंसियों के अनुसार कच्चे तेल के दाम जल्द ही 150 डॉलर प्रति बैरल को भी पार कर सकते हैं। हालांकि, रूस ने अपने क्रूड के दाम रिकॉर्ड स्तर तक घटा दिए हैं, लेकिन अमेरिका और यूरोप की ओर से लगे प्रतिबंधों की वजह से कोई भी उसे खरीद नहीं रहा।
रुझान बताते हैं कि पिछले 119 दिनों से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। जबकि इसी दौरान कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से बढ़त हुई है और यह दो महीने के उच्चतम लेवल पर पहुंच गया है।