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खत्म हो गया चुनावी महासमर, गेहूं से लेकर खाने का तेल तक हो रहा महंगा, 25 रुपए तक बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम

5 डॉलर तक कच्चे तेल के दाम बढ़ने पर 2 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल डीजल महंगा होता है. इस हिसाब से तेल कंपनियों को नुकसान की भरपाई करने के लिए करीब 25 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ाने होंगे.

24 फरवरी को शुरू हुई यूक्रेन-रूस जंग 14 दिन से जारी है और इसके चलते आने वाले दिनों में महंगाई और बढ़ सकती है। इस जंग के कारण इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) के दाम 140 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गए हैं। जो 14 साल का हाई लेवल है। कच्चा तेल महंगा होने से आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ना तय माना जा रहा है।

इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपया सबसे कमजोर हालत में पहुंच गया है। अभी 1 डॉलर की कीमत 77 रुपए के पार निकल गई है। ऐसे में इससे भी महंगाई बढ़ने लगी है। इसके अलावा नेचुरल गैस महंगी होने से आने वाले दिनों में LPG-CNG के दाम भी बढ़ सकते हैं। वहीं अब मेटल की कीमत में भी तेजी देखी जा रही है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि इसका आपकी जेब पर क्या असर होगा। सबसे पहले जानते हैं कच्चा तेल महंगा होने का आप पर क्या असर होगा।8 मार्च 2022 से आम लोगों की जेब पर डाका डलने वाला है. क्योंकि 8 मार्च के बाद से पेट्रोल डीजल के दामों में आग लगने वाली है. क्योंकि 8 मार्च से पेट्रोल डीजल के दामों में 25 रुपये प्रति लीटर तक जा इजाफा हो सकता है. वो इसलिए क्योंकि रुस और यूक्रेन युद्ध ( Russia Ukraine War ) के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 14 साल के उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा है. पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के तहत आखिरी दौर का मतदान 7 मार्च को खत्म होने जा रहा है. जिसके बाद सरकारी सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाने की हरी झंडी दे देगी जिसके बाद तेल कंपनियों दाम बढ़ाना शुरू कर देंगी.
अनुमान है कि मंगलवार 8 मार्च से पेट्रोल डीजल के दाम फिर से हर रोज दैनिक आधार पर बढ़ सकती हैं. कच्चे तेल के दामों में हर एक डॉलर की बढ़ोतरी होने पर सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल डीजल के दामों में 40 पैसे प्रति लीटर तक बढ़ाती हैं. एक दिसंबर 2021 को 68 डॉलर प्रति बैरल के न्यूनत्तम स्तर तक छूने के बाद से कच्चा तेल अब 139 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुका है. यानि 69 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा कच्चा तेल पिछले करीब 97 दिनों में महंगा हो चुका है. 5 डॉलर तक कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी के बाद 2 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल डीजल महंगा होता है. अगर रुपये के मुकाबले डॉलर में आई कमजोरी को भी जोड़ ले तो इस हिसाब से सरकारी तेल कंपनियों को अपने नुकसान की भरपाई करने की पेट्रोल डीजल के दामों को करीब 25 रुपये प्रति लीटर तक कम से कम बढ़ाने होंगे. साफ है कच्चे तेल के दामों में ये इजाफा भारतीयों को सबसे ज्यादा परेशान करने वाला है.

जो खपत के लिए आयात पर निर्भर है. भारत अपने ईंधन खपत का 80 फीसदी आयात करता है. आपको बता दें, कच्चे तेल के दामों में हर एक डॉलर की बढ़ोतरी होने पर सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल डीजल के दामों में 40 पैसे प्रति लीटर तक बढ़ाती हैं. एक दिसंबर 2021 को 68 डॉलर प्रति बैरल के न्यूनत्तम स्तर तक छूने के बाद से कच्चा तेल अब 139 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुका है. यानि 69 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा कच्चा तेल पिछले करीब 97 दिनों में महंगा हो चुका है. 5 डॉलर तक कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी के बाद 2 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल डीजल महंगा होता है. अगर रुपये के मुकाबले डॉलर में आई कमजोरी को भी जोड़ ले तो इस हिसाब से सरकारी तेल कंपनियों को अपने नुकसान की भरपाई करने की पेट्रोल डीजल के दामों को करीब 25 रुपये प्रति लीटर तक कम से कम बढ़ाने होंगे.

फिलहाल दिल्ली में पेट्रोल 95.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल के लिए 86.67 रुपये चुकाना पड़ रहा है. मुंबई वासियों को पेट्रोल के लिए 109.98 रुपये तो डीजल के लिए 94.14 रुपये प्रति लीटर चुकाना पड़ रहा है. चेन्नई में पेट्रोल के लिए 101.40 रुपये प्रति लीटर तो डीजल के लिए 91.43 रुपये में मिल रहा है. कोलकाता वासियों को पेट्रोल के लिए 104.67 रुपये को डीजल के लिए 89.78 रुपये प्रति लीटर देना पड़ रहा है. ये तो आज के दाम है जरा सोचिए चुनाव के खत्म होने के बाद सरकारी तेल कंपनियों ने अपने नुकसान कई भरपाई के लिए पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाना शुरू किया तो देश में महंगाई का क्या आलम होगा.

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