जर्जर सड़क पर वाहन तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल, राहगीरों को हो रही परेशानी
बहसूमा। शासन जहां गांव के लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा देने के लिए गांव की सड़कों की मरम्मत करा कर चकाचक करने की व्यवस्था कर रही है।इसके बाद भी क्षेत्र की क्षतिग्रस्त सड़कों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।बता दें कि जहां एक तरफ शासन स्तर से प्रदेश की सभी सड़कों का चकाचक होने का दावा किया जा रहा है
बहसूमा। शासन जहां गांव के लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा देने के लिए गांव की सड़कों की मरम्मत करा कर चकाचक करने की व्यवस्था कर रही है।इसके बाद भी क्षेत्र की क्षतिग्रस्त सड़कों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।बता दें कि जहां एक तरफ शासन स्तर से प्रदेश की सभी सड़कों का चकाचक होने का दावा किया जा रहा है वहीं जिम्मेदार अधिकारियों की मनमानी के कारण सड़क अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही एक। बहसूमा से गांव मौडकला मार्ग पर प्रतिदिन यात्रा करने वाले प्रदीप कुमार, आशीष उर्फ पिंटू, सचिन चौधरी, प्रभात देशवाल आदि का कहना है कि 3 किलोमीटर की दूरी तय करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।सड़क जगह जगह गड्ढों में तब्दील हो गई है।सड़क के पत्थर उखड़ गए हैं जिनसे पशुओं को चलने में काफी परेशानी हो रही है आए दिन वाहनों में हादसे हो रहे हैं नए टायरों में पत्थर लगने से पंचर हो जाते हैं पत्थर इतने नुकीले हैं कि टायरों को फाड़ देते हैं जिससे दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। कई बार इसकी शिकायत की जा चुकी है लेकिन अभी तक कोई कार्य शुरू नहीं हुआ है।इस सड़क पर चलना कितना मुश्किल है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बाइक से मात्र तीन किलोमीटर का सफर तय करने में 20 मिनट लगती है।सड़क पर चलना जोखिम भरा हुआ है।यह स्थिति तब है जब प्रदेश सरकार द्वारा गड्ढा मुक्त सड़कों के तमाम सरकारी दावों के बावजूद क्षेत्र की सड़कों के हालत में सुधार नहीं है। गड्ढों में तब्दील हो चुकी इस सड़क पर राहगीरों का चलना मुश्किल हो गया है। आए दिन बाइक सवार व साइकिल सवार गड्ढों की वजह से गिरकर घायल हो रहे हैं।इस सड़क की पोर्टल पर व गन्ना सोसायटी रामराज में भी शिकायत की जा चुकी है। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है। लोगों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से इस मार्ग की मरम्मत कराए जाने की मांग की है।