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सीएम योगी का विपक्ष पर निशाना: “महापुरुषों के नाम पर समाज को फिर से बांटने की हो रही साजिश”

गोरखपुर।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक संगोष्ठी में संबोधन के दौरान विपक्षी दलों पर तीखा हमला करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दल जातीय भेदभाव को उभार कर समाज में विघटन फैलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए देश को एक समतामूलक संविधान दिया, लेकिन आज उसी संविधान के रचनाकार के नाम पर राजनीति की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान ने सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए, खासकर अनुसूचित जाति, जनजाति, अति पिछड़े वर्गों और महिलाओं को, जो बाबा साहेब के योगदान का प्रतिफल है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि संविधान के रचयिता को उस समय की कांग्रेस ने पहले चुनाव में हरवाया और बार-बार उनका राजनीतिक मार्ग अवरुद्ध करने का प्रयास किया।

कांग्रेस और सपा पर गंभीर आरोप

योगी ने कहा कि कांग्रेस ने न केवल बाबा साहेब को संविधान सभा में भेजने से रोका, बल्कि 1952 में हुए पहले आम चुनाव में उन्हें पराजित करवाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बाद के वर्षों में समाजवादी पार्टी ने भी समाज को जाति के आधार पर विभाजित करने का प्रयास किया।

“केवल भाजपा ही बाबा साहेब के रास्ते पर चल रही है”

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो बाबा साहेब के विचारों और मूल्यों पर कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने इंग्लैंड स्थित उस भवन को भी स्मारक के रूप में संरक्षित किया है, जहाँ बाबा साहेब ने अपनी शिक्षा प्राप्त की थी। इसके अतिरिक्त, उनके जीवन से जुड़े पाँच प्रमुख स्थलों को तीर्थ के रूप में विकसित किया गया है।

जिन्ना पर टिप्पणी और राणा सांगा का संदर्भ

मुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाया कि वह जिन्ना का महिमामंडन कर रही है और देश के महान योद्धा महाराणा सांगा का अपमान। उन्होंने कहा कि कुछ दल देश को जातीय आधार पर फिर से बांटना चाहते हैं, जबकि भाजपा ‘सबका साथ, सबका विकास’ के सिद्धांत पर कार्य कर रही है।

गरीबों के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भाजपा सरकार ने स्वामित्व योजना के तहत एक करोड़ से अधिक लोगों को जमीन के पट्टे आवंटित किए हैं। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारें गरीबों की उपेक्षा करती थीं और योजनाओं का लाभ अपने कार्यकर्ताओं और परिवार तक सीमित रखती थीं।

मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि सपा ने कांशीराम विश्वविद्यालय का नाम बदलकर उर्दू-फारसी विश्वविद्यालय कर दिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे दलित समाज को केवल वोट बैंक के रूप में देखते हैं।

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