सरसों तेल के भाव धड़ाम, सस्ता हुआ खाने का तेल, सरसों और मूंगफली तेल के गिरे रेट्स, यहां देखें रेट्स
विदेशी बाजारों में तेजी के बावजूद मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक बढ़ने से सरसों तेल तिलहन के भाव में नरमी रही। हल्के तेलों में सोयाबीन और बिनौला तेल से जिस सरसों तेल का भाव 25-30 रुपये किलो अधिक रहा करता था, उसके नई फसल की आवक बढ़ने के बाद 15-20 दिन में इन हल्के तेलों के मुकाबले 5-7 रुपये किलो सस्ता हो जाने का अनुमान है।
बढ़ती महंगाई से परेशान जनता के लिए राहत भरी खबर है. विदेशी बाजारों में तेजी की वजह से तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को मूंगफली और सोयाबीन तेल, बिनौला, सीपीओ, पामोलीन तेल की कीमतों में सुधार देखने को मिला है. दूसरी तरफ, बाजार में सरसों की नई फसल की आवक बढ़ने से सरसों तेल तिलहन के भाव में भी गिरावट देखने को मिली है. यानी अब आम लोगों को रसोई बजट में कुछ राहत जरूर मिलेगी. विदेशी बाजारों में तेजी के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को मूंगफली और सोयाबीन तेल तिलहन, बिनौला, सीपीओ, पामोलीन तेल की कीमतों में सुधार का रुख रहा। वहीं सरसों की नई फसल की मंडियों में आवक बढ़ने से सरसों तेल तिलहन के भाव गिरावट के साथ बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने बताया कि कल रात को शिकागो एक्सचेंज एक फीसदी मजबूत बंद हुआ था, जबकि खबर लिखे जाने तक इसमें 0.1 फीसदी की बढ़त थी।सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में तेजी के बावजूद मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक बढ़ने से सरसों तेल तिलहन के भाव में नरमी रही। उन्होंने कहा कि हल्के तेलों में सोयाबीन और बिनौला तेल से जिस सरसों तेल का भाव 25-30 रुपये किलो अधिक रहा करता था, उसके नई फसल की आवक बढ़ने के बाद 15-20 दिन में इन हल्के तेलों के मुकाबले 5-7 रुपये किलो सस्ता हो जाने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि सरकार को खाद्य तेलों के आयात को कम करने के साथ तेल तिलहन के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना चाहिए।विदेशी बाजारों में तेजी की वजह से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को मूंगफली और सोयाबीन तेल, बिनौला, सीपीओ, पामोलीन तेल की कीमतों में सुधार देखने को मिला है. वहीं, सरसों की नई फसल की मंडियों में आवक बढ़ने से सरसों तेल तिलहन के भाव में भी गिरावट देखने को मिली है.
बाजार सूत्रों ने बताया कि कल रात को शिकॉगो एक्सचेंज एक प्रतिशत मजबूत बंद हुआ था जबकि खबर लिखे जाने तक इसमें 0.1 प्रतिशत की बढ़त थी. सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में तेजी के बावजूद मंडियों में सरसों के नये फसल की आवक बढ़ने से सरसों तेल तिलहन के भाव में नरमी रही.
हल्के तेलों में सोयाबीन और बिनौला तेल से जिस सरसों तेल का भाव 25-30 रुपये किलो अधिक रहा करता था. नये फसल की आवक बढ़ने के बाद 15-20 दिन में इन हल्के तेलों के मुकाबले 5-7 रुपये किलो सस्ता हो जाने का अनुमान है.