मेरठ: हर तरफ बम-बम, शिवालयों में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, केसरिया हुए शिवालय, आज भगवान भोलेनाथ को दो लाख शिवभक्त करेंगे जलाभिषेक
मंगलवार को चतुदर्शी पर महाशिवरात्रि पर्व मनाया जा रहा है। इस पर्व पर करीब दो लाख शिवभक्त भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करेंगे। पश्चिमी यूपी के अन्य जिलों में भी शिवालयों पर कांवड़ियों और श्रद्धालुओं की लंबी लाइनें लगी हुई हैं।
बाबा औघड़नाथ मंदिर सहित अन्य देवालयों में मेरठ शहर में त्रयोदशी का जल चढ़ाया गया। मंगलवार को चतुदर्शी पर महाशिवरात्रि पर्व मनाया जा रहा है। करीब दो लाख शिवभक्त इस पर्व पर भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करेंगे। जय भोले जय भंडारी, तेरी है महिमा न्यारी सहित अन्य भजनों और बोल-बम के जयघोष के साथ शिवभक्त भगवान शिव की आराधना करेंगे।
वहीं शिवालयों पर कांवड़ियों और श्रद्धालुओं की लंबी लाइनें पश्चिमी यूपी के अन्य जिलों में भी लगी हुई हैं। बाबा औघड़नाथ मंदिर सहित अन्य देवालयों को भव्य तरीके से सजाया गया है। यहां सोमवार को ही मेले जैसा माहौल रहा। फूलों के साथ रंगीन लाइटों से सजावट की गई। मेले में झूलों के साथ सामाजिक धार्मिक संगठनों के द्वारा भंडारे लगाए गए हैं। अन्य मंदिरों में भी सजावट के साथ इंतजाम किए गए हैं। हरिद्वार से जल लेकर आने वाले कांवड़ियों की संख्या इस बार 5 हजार से अधिक रही है।
होगी सीसीटीवी कैमरों से निगरानी
मंगलवार को सुबह चार बजे से बाबा औघड़नाथ मंदिर में जलाभिषेक शुरू हो गया। मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉ. महेश बंसल और महामंत्री सतीश सिंघल ने बताया कि मंदिर के मुख्य द्वार पर रविवार रात ही गंगाजल के कैंटर पहुंच गए थे।
शिव के साथ शक्ति विराजमान है राजराजेश्वरी मंदिर में
शहर के प्रसिद्ध मंदिरों में सम्राट पैलेस स्थित राजराजेश्वरी मंदिर की स्थापना 1989 में ज्योतिष और द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद जी महाराज ने की। मंदिर में प्रधान देवी भगवती राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी के साथ चौसठ योगिनी माता भी विराजमान हैं। यहां स्फटिक मणि का शिवलिंग भक्तों की सभी मनोकामना को पूर्ण करने वाला है।
2000 गज जगह में बने मंदिर में बाग और छोटे मंदिर भी हैं। मंदिर में जगद्गुरु शंकराचार्य जी का आश्रम भी है। मंदिर में सभी धार्मिक और व्यवस्था संबंधी कार्य राधिकानंद ब्रह्मचारी जी महाराज के द्वारा की जाती है।
2019 से यह जिम्मेदारी ब्रह्मचारी जी निभा रहे हैं। मंदिर शंकराचार्य जी के साथ विभिन्न पीठों से संत और महात्मा भी नियमित रूप से आते रहते हैं। मंदिर में सभी पर्वों पर आयोजन होते हैं। महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा की जाती है।