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अमेरिका की बादशाहत हुई कम, जब रूस ने दिखाई दुनिया को अपनी ताकत

एक बार फिर से रूस और भारत की मित्रता पर मोहर लगी है। इसके साथ ही रूस को यह समझ रहा है कि कौन उसका संकट का साथी है। अमेरिका को भी पता है कि भारत-अमेरिका और भारत-रूस संबंध दोनों अलग-अलग चीज है और इसका सम्मान अमेरिका भी कर रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार कहते हैं कि हमें आत्मनिर्भर बनना है और आज इस बात का एहसास हो रहा है कि आत्मनिर्भरता आज के जमाने में कितनी जरूरी है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों के शह पर यूक्रेन ने जो बार-बार रूस को उकसाने की कोशिश की थी उसकी सजा आज यूक्रेन को भुगतनी पड़ रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि व्लादिमीर पुतिन एक मजबूत नेता के तौर पर इसमें उभरे हैं।

व्लादिमीर पुतिन के बारे कहा कि पश्चिमी देशों और यूरोपियन यूनियन के तमाम दबाव के बावजूद भी उन्होंने यूक्रेन के खिलाफ सैनिक कार्रवाई शुरू की। साथ ही साथ यह भी कह दिया कि अगर इस बीच में कोई आता है तो वह भी अंजाम बुरा भुगतेगा। उन्होंने कहा कि रूस ने यूक्रेन पर अचानक हमला नहीं किया था। यूक्रेन को पूरा मौका दिया गया था कि आप बात से मामले का हल निकालिए।

लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। नीरज दुबे ने कहा कि जिस तरीके से अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी हुई और वहां के हालात बिगड़े, उसके बाद से पूरी दुनिया में अमेरिका की छवि धूमिल हुई है। यूक्रेन-रूस विवाद में भी जो बाइडन सिर्फ प्रतिबंधों का एलान करते रह गए और रूस ने आक्रमण कर दिया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन को जिस तरह की उम्मीद थी कि उसके साथ पश्चिमी देश खड़े रहेंगे, वह प्रत्यक्ष रूप से होता दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि अब कुछ देशों ने यूक्रेन को सैन्य सहायता देने का भरोसा दिया है।

यूक्रेन भारत से गुहार लगा रहा है। यह वही यूक्रेन है जो भारत विरोधी देश के रूप में जाना जाता है। एक बार नहीं, कई दफा उसने भारत के विरोध जाकर कई काम किए हैं। इसके साथ ही इस्लामिक देशों के एजेंडे को भारत के खिलाफ आगे बढ़ाने का काम किया। यूक्रेन को इस बात की उम्मीद है कि जिस तरीके से भारत और रूस के बीच संबंध हैं, उसकी वजह से फिलहाल कोई हल निकल सकता है।

जिस तरीके से भारत और रूस के बीच का संबंध है, वही देखने को मिला कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर भारत ने वोट नहीं दिया। भारत का हमेशा से मानना रहा है कि किसी भी मसले का हल बातचीत और शांति से निकाला जाए। इसके साथ ही रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव से दूर रहकर भारत ने अच्छा काम किया है और साथ ही साथ अमेरिका से भी संबंध को बरकरार रखा है।

एक बार फिर से रूस और भारत की मित्रता पर मोहर लगी है। इसके साथ ही रूस को यह समझ रहा है कि कौन उसका संकट का साथी है। अमेरिका को भी पता है कि भारत-अमेरिका और भारत-रूस संबंध दोनों अलग-अलग चीज है और इसका सम्मान अमेरिका भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का कद लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत के प्रधानमंत्री से जिस तरीके से वैश्विक मसलों पर राय ली जाती है वह अपने आप में भारत के कद को दिखाता है। हालांकि नीरज दुबे ने कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ओर से इस तरीके से  यूक्रेन में फंसे लोगों के वीडियोस डाले जा रहे हैं, वह वाकई हैरान करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि यह संकट का समय है, हमें धैर्य रखना चाहिए और हमें पैनिक नहीं फैलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार यूक्रेन में फंसे हर भारतीयों को निकालने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखा रही है। मुश्किल हालात है लेकिन ऑपरेशन गंगा के तहत नागरिकों को वहां से निकाला जा रहा है।

केंद्र सरकार ने यूक्रेन में फंसे छात्रों समेत भारतीयों को बाहर निकालने की प्रक्रिया में समन्वय के लिए चार केंद्रीय मंत्रियों को युद्धग्रस्त देश के पड़ोसी देशों मे भेजने का फैसला किया। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में संपन्न एक उच्च स्तरीय बैठक में किया गया। सरकारी सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, किरेन रिजिजू और वी के सिंह भारत के ‘‘विशेष दूत’’ के तौर पर यूक्रेन के पड़ोसी देशों में जाएंगे। उन्होंने बताया कि सिंधिया भारतीयों को यूक्रेन के निकालने के अभियान के लिए समन्वय का काम रोमानिया और मोल्दोवा से संभालेंगे, जबकि रिजिजू स्लोवाकिया जाएंगे। सूत्रों ने बताया कि पुरी हंगरी जाएंगे और सिंह भारतीयों को निकालने का प्रबंध करने के लिए पोलैंड जाएंगे। इन मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजने का फैसला करने से एक दिन पहले ही मोदी ने कहा था कि युद्धग्रस्त देश में भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन्हें बाहर निकालना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूसी परमाणु बलों को ‘हाई अलर्ट’ पर रखने का आदेश दिया जिससे यूक्रेन पर रूस द्वारा किये गए हमले पर पूर्वी और पश्चिमी देशों के बीच तनाव और बढ़ने का अंदेशा है।

पुतिन ने कहा कि नाटो के प्रमुख सदस्य देशों द्वारा “आक्रामक बयानबाजी” की प्रतिक्रिया में उन्होंने यह निर्णय लिया। इस आदेश का अर्थ है कि पुतिन रूस के नाभिकीय हथियारों को दागने के वास्ते तैयार रखना चाहते हैं। उनके इस निर्णय से दुनिया में परमाणु युद्ध के बादल मंडराने लगे हैं। मास्को की सेनाओं के कीव के और निकट आने के बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से कहा गया कि उनका एक प्रतिनिधिमंडल रूसी अधिकारियों के साथ बैठक करेगा। पुतिन ने परमाणु अस्त्रों को ‘अलर्ट’ पर रखने के लिए न केवल नाटो के सदस्य देशों के बयानों का हवाला दिया बल्कि रूस और अपने (पुतिन) विरुद्ध पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का भी उल्लेख किया। शीर्ष अधिकारियों संग की गई एक बैठक में पुतिन ने रूस के रक्षा मंत्री और ‘मिलिट्री जनरल स्टाफ’ के प्रमुख को आदेश दिया कि परमाणु रोधी बलों को ‘‘युद्ध संबंधी दायित्व के लिए तैयार रखा जाए।’’

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