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Ukraine Crisis: यूक्रेन संकट का असर खेलों पर भी पड़ा, ब्रिटेन ने चैंपियंस लीग के फाइनल को रूस से बाहर कराने के लिए मांग की

Russia Ukraine Crisis: दुनिया भर में रूस और यूक्रेन के बीच बने युद्ध जैसे हालात को लेकर हलचल है। ऐसे में खेलों पर भी यूक्रेन संकट का असर पड़ता दिख रहा है। ब्रिटेन ने चैंपियंस लीग के फाइनल को रूस से बाहर कराने के लिए मांग की है।

Russia Ukraine Crisis: दुनिया भर में रूस और यूक्रेन के बीच बने युद्ध जैसे हालात को लेकर हलचल है। ऐसे में खेलों पर भी यूक्रेन संकट का असर पड़ता दिख रहा है। ब्रिटेन की सरकार ने मंगलवार यानी 22 फरवरी 2022 को फुटबॉल चैंपियंस लीग के फाइनल को रूस से बाहर कराने के लिए मांग की है। यूनियन ऑफ यूरोपियन फुटबॉल एसोसिएशंस ( Union of European Football Associations/UEFA) से उसने मेजबानी अधिकारों पर पुर्विचार करने को कहा।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मंगलवार 22 फरवरी 2022 को चैंपियंस लीग से जुड़ी चिंताओं पर प्रकाश डाला। रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन पर उन्होंने हमला नहीं करने का भी आग्रह किया। 28 मई को चैंपियंस लीग 2022 का फाइनल रूस में सेंट पीटर्सबर्ग (Saint Petersburg) के क्रेस्टोवस्की स्टेडियम (Krestovsky Stadium) में खेला जाना है।

हाउस ऑफ कॉमन्स को बोरिस जॉनसन ने बताया, ‘व्लादिमीर पुतिन ‘यूक्रेन के खिलाफ पूर्ण युद्ध’ शुरू करने को लेकर अड़े हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून को तार-तार कर दिया है। इस महत्वपूर्ण क्षण में यह बहुत अहम है कि राष्ट्रपति पुतिन समझें कि वह जो कर रहे हैं वह रूस के लिए एक आपदा होने जा रहा है।’

बोरिस जॉनसन ने कहा, ‘रूस खत्म होने जा रहा है … वह बिल्कुल अलग-थलग है, उसको पारिया का दर्जा (ऐसा राष्ट्र जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में बहिष्कृत माना जाता है) है। संप्रभु देशों पर आक्रमण करने वाले रूस में फुटबॉल टूर्नामेंट आयोजित करने के हालात नहीं हैं।’ यूरोपीय फुटबॉल के शासी निकाय ने भी रूस में होने वाले इस आयोजन में जोखिम होने की बात स्वीकार की है।

बोरिस जॉनसन ने कहा कि उनका देश आर्थिक प्रतिबंधों की ‘बमबारी’ करके रूस को और निशाना बनाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि रूसी लोग भी प्रतिबंधों की उम्मीद कर रहे होंगे। बता दें कि फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका खुलकर रूस के खिलाफ यूक्रेन के समर्थन में खड़े दिख रहे हैं। वहीं, कई देश तटस्थ हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक में भारत ने तटस्थ रवैया अपनाया था। भारत ने कहा था कि विवाद का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत के जरिये निकाला जाना चाहिए।

रूस तथा यूक्रेन के उन दो अलगाववादी क्षेत्रों को निशाना बनाते हुए जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने प्रतिबंधों की घोषणा की है, जिनकी स्वतंत्रता को रूस ने मान्यता दे दी है। इसी के साथ वह रूस पर कूटनीतिक समाधान के रास्ते पर लौटने का दबाव बनाने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में शामिल हो गए हैं।

सरी ओर, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने क्रीमिया को रूस के हिस्से के तौर पर अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने, यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की कवायद को खत्म करने और वहां हथियारों की खेप पहुंचाने से रोकने का आह्वान किया है। रूस ने यूक्रेन से अपने राजनयिकों को निकालने का फैसला किया है। उसका कहना है कि यूक्रेन में रूसी राजनयिकों को कई धमकियों मिली है। उन्हें ‘जल्द ही’ निकाला जाएगा।

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