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कानून बदलेगा : सरकार अपने पास रखेगी प्रबंधन में नियुक्ति का अधिकार ,बैंकों में 26 प्रतिशत तक हिस्सेदारी घटाएगी

निजीकरण के विरोध में जारी हड़ताल के बीच सार्वजनिक बैंकों में सरकार अपनी न्यूनतम हिस्सेदारी घटाकर आधी करने पर विचार कर रही है। अभी सरकारी बैंकों में केंद्र की न्यूनतम हिस्सेदारी 51 फीसदी है, जिसे घटाकर 26 फीसदी तक लाने के लिए कानून में बदलाव किया जा सकता है। हिस्सा घटने के बाद बैंक के प्रबंधन में नियुक्ति का अधिकार सरकार अपने पास ही रखेगी।

ब्लूमबर्ग ने दावा किया है कि सरकार बैंकिंग नियमन कानून में बदलाव का प्रस्ताव बना रही। इसके तहत बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से घटाकर 26 फीसदी तक लाएगी। अगर इन प्रस्तावों को मंजूरी मिलती है, तो ये सरकारी बैंकों की निजीकरण की राह और आसान बना देंगे।हालांकि, कानून में सरकार के पास प्रबंधन में नियुक्ति का अधिकार पहले की तरह बनाए रखने का प्रावधान होगा। अभी यह बातचीत प्रारंभिक स्तर पर है और संसद में पेश किए जाने से पहले केंद्रीय कैबिनेट इस पर चर्चा करेगी। बदलाव का मकसद बैंकों पर बढ़ते एनपीए के बोझ को घटाना और अर्थव्यवस्था में पूंजी प्रवाह बढ़ाना है।
उद्योग जगत का कहना है कि रिजर्व बैंका का नया नियम डिजिटल लेनदेन को प्रभावित कर सकता है। मार्च, 2020 में रिजर्व बैंक ने विक्रेताओं और डिजिटल कर्ज बांटने वाली फर्मों को ग्राहकों की कार्ड डिटेल का संग्रहण नहीं करने का निर्देश दिया था।हालांकि, कानून में सरकार के पास प्रबंधन में नियुक्ति का अधिकार पहले की तरह बनाए रखने का प्रावधान होगा। अभी यह बातचीत प्रारंभिक स्तर पर है और संसद में पेश किए जाने से पहले केंद्रीय कैबिनेट इस पर चर्चा करेगी।

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