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खारगोन में हुई हिंसा में हुए पथराव और हथगोले, तोड़े गये मुस्लिमों के घर को लेकर सोशल मीडिया पर छिड़ गई बहस

मध्य प्रदेश के खारगोन में रामनवमी के असवर पर निकाले गये जुलुस के दौरान हुई हिंसा से कई लोगों के घायल होने की खबर है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।

मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के खारगोन में रामनवमी के असवर पर निकाले गये जुलुस के दौरान हुई हिंसा से कई लोगों के घायल होने की खबर है। आगजनी में कई घर जल गये, यहां तक कि एसपी के पैर में भी किसी ने गोली मार दी। इस घटना के बाद जैसे ही हालात सामान्य हुए तो आरोपियों के घर की तरफ मध्य प्रदेश सरकार का बुल्डोजर पहुंच गया और दूकाने ढहा दी गईं। सोशल मीडिया पर इस को लेकर बहस छिड़ गई है।

पत्रकार अरफा खानम शेरवानी ने ट्विटर पर लिखा कि ‘मध्य प्रदेश के खरगोन में किस कानून के तहत मुसलमानों के घर तोड़े जा रहे हैं? किस न्यायालय ने इसे अधिकृत किया है? क्या भारत में अभी भी न्यायालय कार्य कर रहे हैं?’ अराफा खान शेरवानी के इस ट्वीट पर कई लोगों ने अपना जवाब दिया है।

फिल्ममेकर अशोक पंडित ने जवाब देते हुए लिखा कि ‘वही कानून जिसके तहत उन्हें पत्थर, सोडा की बोतलें, हथगोले आदि फेंकने की अनुमति है। क्या आपने वह फुटेज देखा?’

ऋषि बागरी नाम के यूजर ने लिखा कि ‘न्युटन के तीसरे नियम के तहत कार्रवाई की गई।’ अजीत दत्ता ने लिखा कि ‘किस कानून के तहत पथराव किया गया? किस न्यायालय ने इसे अधिकृत किया? क्या भारत में अदालतें अभी भी काम कर रही हैं?’

पत्रकार अरफा को जवाब देते हुए प्रमोद दीक्षित नाम के यूजर ने लिखा कि ‘उसी कानून के तहत जिसने 2018 में मुस्लिमों द्वारा किए गए हथियारों से भरे और आक्रामक स्लोगन मार्च की अनुमति दी। एक ही चश्मे से क्यों देखती हो, न्याय की बात करती हो तो दोनों पहलू देखो।’

आशीष कॉल नाम के यूजर ने लिखा कि ‘उसी कानून के तहत “जिसके तहत कश्मीरी मुसलमानों और आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी हिंदू नरसंहार को अंजाम दिया गया” और पुलिस और अदालतें 32 साल तक देखती रहीं। यहां अभी तो 24 घंटे भी नहीं हुए, 32 साल का दर्द समझो।’

एलएन नारायण नाम के यूजर ने लिखा कि ‘आप किन अदालतों की बात कर रहे हैं? हिजाब के संबंध में कर्नाटक उच्च न्यायालय का क्या फैसला था? क्या सभी फॉलो कर रहे हैं? क्या आप सभी वास्तव में भारतीय संविधान का पालन करते हैं।’

रणधीर करण नाम के यूजर ने लिखा कि ‘अचानक सारे घरों में इतनी भारी मात्रा में पत्थर कहां से आ गया? मतलब पहले से ही तैयारी थी तो ऐसे अपराधियों का तो एनकाउंटर किया जाना चाहिए था। सरकार का आभार मानो कि सिर्फ गिरफ्तारी हुई है और घर ही तोड़ा है।’

हुसैन हैदरी नाम के यूजर ने लिखा कि ‘क्या घरों को गिराने का कार्य नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के अंतर्गत आता है? यह रवैया देश में हर किसी के साथ रहना चाहिए, भले ही वर्तमान में इसका इस्तेमाल केवल सांप्रदायिक इरादे से मुस्लिम घरों को नष्ट करने के लिए किया जा रहा है।’

रमाकांत नाम के यूजर ने लिखा कि ‘आरफा मैम समान नागरिक संहिता की मांग कर रही हैं, UCC को जल्द से जल्द लागू कराने में उनका समर्थन करें। एक कानून होगा, सभी को उसी का पालन करना होगा।’

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