राजनीति

छठे चरण में अपने ही गढ़ में अग्निपरीक्षा से गुजरेंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यूपी चुनाव की पढ़ें बड़ी खबरें

छठे चरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत उनकी सरकार के कई मंत्रियों और बड़े नेताओं की भी साख़ दांव पर लगी हुई है. गोरखपुर शहरी विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार सीएम योगी आदित्यनाथ को हरा पाना आसान नहीं होगा, लेकिन अन्य सीटों के समीकरण बीजेपी के अनुकूल नहीं लगते हैं |

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) में छठे चरण के मतदान के लिए 10 जिलों की 57 सीटों पर मंगलवार को प्रचार थम गया. छठे चरण में पूर्वांचल (Purvanchal) के अंबेडकर नगर से गोरखपुर (Gorakhpur) तक की सीटों पर सियासी संग्राम होना है. पांच चरणों में 292 सीटों पर वोट डाले जा चुके हैं. बाकी बची 54 सीटों पर सातवें और आख़िरी चरण में वोट डाले जाएंगे. छठे चरण में कुल 676 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं. छठे चरण में 11 सीटें दलितों के लिए आरक्षित हैं. इस चरण में कुल 2,14,62,816 (दो करोड़ चौदह लाख बासठ हजार आठ सौ सोलह) मतदाता हैं. इसमें 1,14,63,113 पुरुष, 99,98,383 महिला और 1320 थर्ड जेंडर के मतदाता शामिल हैं.उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के छठे चरण का चुनाव-प्रचार मंगलवार शाम छह बजे थम गया। तीन मार्च को स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी तरीके से मतदान कराया जाएगा, इस संबंध में आवश्यक तैयारियां व व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए गए हैं। मतदान का समय सुबह 7 से शाम 6 बजे तक रहेगा। छठे चरण में 11 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इस चरण में कुल 676 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

दस जिलों में आंबेडकर नगर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया व बलिया की विधान सभा सीटें शामिल हैं। प्रत्याशियों की ओर से किए जा रहे प्रचार-प्रसार पर रोक मतदान समाप्त होने तक प्रभावी रहेगी। पोलिंग बूथ पर मतदाताओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसके लिए समुचित व्यवस्था कराने के लिए प्रशासन को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।

पिछले चुनाव में छठे चरण वाली इन 57 सीटों में से 46 सीटें बीजेपी और दो सीटें उसके सहयोगी दलों ने जीती थीं. इनमें से एक अपना दल और एक ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा ने जीती थी. तब सुभासपा और बीजेपी का गठबंधन था. इस बार सुभासपा और समाजवादी पार्टी का गठबंधन है. सुभासपा के पाला बदलने से बीजेपी की राह काफी मुश्किल हो गई है. हवा का रुख अपने पक्ष में मोड़ने के लिए चुनाव प्रचार के आख़िरी दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बीजेपी के बड़े नेताओं ने पूरी ताक़त झोंकी. योगी ने छह जनसभाएं कीं. इनमें से दो गोरखपुर ज़िले में थी.

बीजेपी की सत्ता और योगी की साख बचाने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीन तो बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी दो रैलियां कीं. बीजेपी के सामने पांच चरणों की तरह इसमें भी पिछले चुनाव में जीती अपनी सीटें बचाने की चुनौती है.उत्तर प्रदेश में अब अंतिम दो चरणों के चुनाव बचे हैं। इसके बाद 10 मार्च को परिणाम आने के बाद तस्वीर साफ हो जाएगी, कि जनता ने किसे यूपी का ताज पहनाया है। चुनाव के लिहाज से पूर्वांचल सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। पिछली बार यहां से भाजपा ने काफी सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार सपा भी काफी जोर-शोर से लड़ रही है।

गोरखपुर में कुल नौ विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 2017 में आठ पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। एक सीट चिल्लूपार बसपा के खाते में गई थी। माना जाता है कि गोरखपुर की सभी सीटों के अलावा आसपास के जिलों में भी योगी प्रभाव है। इसी सोच के साथ वह यहां से चुनाव लड़ रहे हैं कि इसका फायदा दूसरी सभी सीटों पर भी भाजपा को मिलेगा। ऐसे में यहां योगी का असर भी कसौटी पर कसा जाएगा।

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