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दोस्त ने महिला के खिलाफ दर्ज कराया ईशनिंदा का केस,वॉट्सऐप मैसेज में किया इस्लाम का अपमान ,इस कारण महिला को सुनाई गई मौत की सजा

पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून को पूर्व सैन्य तानाशाह जियाउल हक ने 1980 के दशक में बनाया था. इन कानूनों के तहत किसी को भी फांसी नहीं दी गई है, लेकिन ईशनिंदा करने के संदेह में कई लोग मारे गए हैं.

पाकिस्तान के रावलपिंडी की अदालत ने शिकायतकर्ता फारूक हसनात की शिकायत पर बुधवार को यह फैसला सुनाया है. अनिका अतीक पर तीन आरोप सही सिद्ध हुए हैं. पहला- मोहम्मद साहब की अवमानना, दूसरा- इस्लाम का अपमान और तीसरा- साइबर कानूनों का उल्लंघन. ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक, अनिका और फारूक पहले दोस्त हुआ करते थे. लेकिन किसी बात पर उनका झगड़ा हो गया. तभी गुस्से में अनिका ने फारूक को वॉट्सऐप मोहम्मद साहब और इस्लाम की अवमानना वाले संदेश भेजे थे.अदालत द्वारा जारी ब्यौरे में बताया गया कि 26 साल की अनीक़ा अतीक़ को मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था और उस पर अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर ईशनिंदा करने वाली सामग्री पोस्ट करने का आरोप लगाया गया था.
अभी हाल ही में पाकिस्तान की एक अदालत ने अल्पसंख्यक अहमदी समुदाय के उन तीन सदस्यों को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिन्हें वॉट्सएप पर कथित आपत्तिजनक धार्मिक सामग्री साझा करने को लेकर ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. एफआईए की साइबर अपराध शाखा ने महमूद इकबाल हाशमी, शिराज अहमद और जहीर अहमद को हाल में लाहौर से गिरफ्तार किया था. उन पर पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) और इलेक्ट्रॉनिक अपराध कानून (पेका) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

लाहौर हाईकोर्ट ने कही थी ये बात
एफआईए ने मोहम्मद इरफान नाम के एक व्यक्ति की शिकायत पर अहमदी समुदाय के तीनों सदस्यों के खिलाफ यह कार्रवाई की थी. इरफान ने तीनों पर उसे एक ऐसे वॉट्सएप ग्रुप से जोड़ने का आरोप लगाया था, जिस पर ईशनिंदा करने वाली सामग्री मौजूद थी. आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान लाहौर हाईकोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं ने एक वॉट्सएप ग्रुप बनाया था, जिसके सदस्यों के बीच हुए संवाद के स्क्रीनशॉट से पता चलता है कि उसका मकसद कादियानी/अहमदी विचारधारा के प्रचार-प्रसार का मंच उपलब्ध कराना था.

इसमें आगे बताया गया है कि जब एक दोस्त ने उसे अपना व्हाट्सएप स्टेटस बदलने को कहा तो उसने इसे बदलने की बजाय उसे वही सामग्री फॉरवर्ड कर दी. इस्लाम में पैगम्बर मोहम्मद के चित्र बनाने या रखने की मनाही है.

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