बलूचिस्तान में सेना पर हुआ आतंकी हमला, 1 सैनिक और चार आतंकी मारे गए
आतंकवादियों ने बुधवार देर शाम बलूचिस्तान के पंजगुर और नोशकी में सुरक्षा बलों के शिविरों पर हमला करने का प्रयास किया। पाकिस्तान आर्मी पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि बलूचिस्तान के नोशकी और पंजगुर में दो अलग-अलग स्थानों पर फ्रंटियर कोर के कैंपों पर आतंकवादियों ने हमला किया
बलूचिस्तान प्रांत में बुधवार रात आतंकियों ने सुरक्षाबलों के दो ठिकानों पर हमला किया. हमले में एक सैनिक और चार आतंकी मारे गए हैं. हमले की जिम्मेदारी नवगठित बलूचिस्तान नेशनलिस्ट आर्मी ने ली है. पाकिस्तान आर्मी पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि बलूचिस्तान के नोशकी और पंजगुर में दो अलग-अलग स्थानों पर फ्रंटियर कोर के कैंपों पर आतंकवादियों ने हमला किया और इन कैंपों में घुसने की कोशिश की. बयान में आगे कहा गया, दोनों हमलों को नाकाम कर दिया गया, जबकि गोलीबारी के दौरान आतंकवादियों को भारी नुकसान हुआ.इस दौरान चार आतंकी ढेर किए गए।
बलूचिस्तान नेशनलिस्ट आर्मी ने एक बयान में कहा कि उसने नोशकी और पंजगुर में फ्रंटियर कोर मुख्यालय पर हमला किया था और आत्मघाती हमलावर सफलतापूर्वक सुरक्षा बलों के शिविरों में घुस गए, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए थे” नोशकी में प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक उन्होंने एक जोरदार धमाके की आवाज सुनी, उन्होंने बताया कि फ्रंटियर कोर मुख्यालय के अंदर एक छोटे से विस्फोट की आवाज भी सुनी गई और साथ ही भारी गोलीबारी का सिलसिला शुरू हो गया जो काफी देर तक जारी रहा. चश्मदीदों ने कहा कि विस्फोटों और गोलीबारी से फ्रंटियर कोर मुख्यालय के आसपास के इलाके में दहशत फैल गई. बयान में कहा गया है कि गोलीबारी के दौरान एक अधिकारी घायल हो गया और रुक-रुक कर गोलीबारी जारी है। इससे पहले, एफसी के प्रवक्ता ने पंजगुर और नोशकी में शिविरों के पास दो विस्फोटों की पुष्टि की थी। उन्होंने कहा था कि धमाकों के बाद गोलीबारी हुई, जो जारी है। एक हफ्ते पहले हीकेच जिले में सुरक्षा बलों की जांच चौकी पर आतंकवादी हमले में दस सैनिक शहीद हो गए थे।
पाकिस्तान अपने ही देश के नागरिकों पर अत्याचार करता है और यह बात भी पूरी दुनिया जानती है. बलूचिस्तान के लोग 1947 में पाकिस्तान बनने के बाद से ही अपने लिए अलग देश की मांग करते रहे हैं. पाकिस्तानी सरकार और सेना बलूचिस्तान के लोगों को उनके अधिकार नहीं देते और उनको तरह-तरह की यातनाएं दी जाती हैं. इसके कारण बलूचिस्तान में कई विद्रोही गुट सक्रिय हैं.