ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट ,एक्स जेंडर वाला पासपोर्ट खारिज
यूके के सुप्रीम कोर्ट ने एक्स लिंग वाला पासपोर्ट खारिज कर दिया है. युनाइटेड किंग्डम के सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून व्यवस्था नर-मादा विभाजन के आधार पर बनी है और एक्स लिंग वाला पासपोर्ट इस व्यवस्था को कमजोर करेगा. आहत हैं कार्यकर्ता इस पासपोर्ट के पक्ष में अभियान चला रहे लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अमानवीकरण और अपमानजनक बताया है
ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट के अध्यक्ष ने एकमत से लिए गए फैसले में लिखा कि सरकार का लक्ष्य देश की रक्षा करना है, खर्च घटाना है और “यह सुनिश्चित करना है कि कानून और प्रशासन के तहत लैंगिक विषय पूरी तरह वैध रहें.”
फैसले में कहा गया है कि ऐसा कोई कानून ही नहीं है जिसमें अ-लिंगी लोग मान्य हों लेकिन कई कानून ऐसे हैं जहां नर या मादा के रूप में लोगों के स्पष्टतौर पर मान्यता दी गई है. अदालत ने यह भी कहा कि क्रिस्टी के साथ सीमा पर पासपोर्ट को लेकर किसी तरह का भेदभाव नहीं हुआ है, जैसा कि एक फ्रांसीसी ट्रांसजेंडर महिला के साथ हुआ था क्योंकि वह अपने दस्तावेजों में लिंग नहीं बदल पा रही थी.
इस पासपोर्ट के पक्ष में अभियान चला रहे लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अमानवीकरण और अपमानजनक बताया है. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन अब उन देशों से जुदा हो गया है जिन्होंने बिना किसी लिंग पर आधारित पासपोर्ट जारी किए हैं.क्रिस्टी ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय (ECHR) में अपील की जाएगी., ऑस्ट्रेलिया, भारत और आइसलैंड समेत 12 देश ऐसा पासपोर्ट जारी कर चुके हैं. लेकिन क्रिस्टी ने कहा कि उन्हें ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर ज्यादा हैरत नहीं हुई है. जबकि अमेरिका
मीडिया से बातचीत में क्रिस्टी ने कहा, “युनाइटेड किंग्डम में न्याय नहीं है. अगर कोई नर या मादा नहीं है तो उसे अपने दस्तावेजों पर कोई लिंग अपनाने के लिए मजबूर करना गलत है. यह अपमानजनक है. यह अमानवीकरण है.”