देश

मनरेगा में 4,060 करोड़ रुकी मजदूरों की मजदूरी, बजट प्रावधानों में भी की गई कटौती

योजना के तहत मजदूरों का 4,060 करोड़ रुपए का बकाया अभी भी अटका हुआ है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि मंत्रालय द्वारा किए जाने वाले कार्यों से संबंधित 9 हजार करोड़ का भुगतान भी अभी लटका हुआ है।

मजदूरों को रोजगार देने के लिए शुरू की गई मनरेगा योजना में मजदूरों को वक्त पर भुगतान नहीं मिल रहा है। हालत यह है कि इस योजना के तहत मजदूरों का 4,060 करोड़ रुपए का बकाया अभी भी अटका हुआ है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के कामकाज को लेकर ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधित स्थायी समिति ने यह रिपोर्ट दी है। समिति ने मंत्रालय की इस स्थिति पर चिंता भी जाहिर की है। इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि मंत्रालय द्वारा किए जाने वाले कार्यों से संबंधित 9 हजार करोड़का भुगतान भी अभी लटका हुआ है।

गंभीर स्थिति के बाद मंत्रालय में मनरेगा के लिए बजट प्रावधानों में भी कटौती की गई है। संसदीय समिति ने इस पर गहरी चिंता जाहिर की है। इस साल के बजट प्रावधानों में इस योजना के लिए स्वीकृत 78,000 करोड़ की राशि को घटाकर 73,000 करोड़ रुपए किया गया है। इस स्थिति में सुधार के लिए  संसदीय समिति ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि इन योजनाओं के वित्तीय प्रबंधन में तेजी लाई जाए और जमीनी स्तर पर मनरेगा को लागू करने में सामने आ रही परेशानियों को भी दूर किया जाए।

संसदीय समिति की यह रिपोर्ट लोकसभा में पेश की है। समिति के अध्यक्ष प्रताप राव जाधव समेत लोकसभा के 21 और राज्य सभा के नौ सदस्य शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना का मकसद मजदूरों के लिए रोजगार व आजीविका सुनिश्चित करना है। ऐसे हालात में इस योजना का उद्देश्य ही विफल हो जाता है। समिति ने सरकार के इन आंकड़ों पर चिंता जाहिर की है।

सामग्री भुगतान के लिए सांसद निधि प्रयोग की सिफारिश : सामग्री भुगतान के लिए संसदीय समिति ने सांसद निधि कोष से धनराशि का प्रयोग किए जाने की सिफारिश केंद्र सरकार को दी है। समिति ने कहा कि ज्यादातर योजनाएं विशेषतौर पर धन के 40 फीसद अनुपात के तहत सामग्री घटक जारी करने में देरी के कारण रूक जाती है। इसलिए इस कार्य के लिए सांसद निधि (एमपीलैड) का प्रयोग किया जाना चाहिए।

पीएमएवाईजी के तहत देश में चल रही योजनाओं के तहत 2.95 करोड़ आवास योजना की समय सीमा को मार्च 2024 तक बढ़ाया गया है। निर्माण के लिए मैदानी इलाकों के लिए सहायता राशि योजना प्रति यूनिट 1.2 लाख और पहाड़ी राज्यों में 1.3 लाख है। समिति का मानना है कि इस राशि में लम्बे समय से संशोधन नहीं किया गया है। बढ़ती मुद्रास्फीति, कच्चे माल, परिवहन लागत समेत अन्य कारकों को देखते हुए इस राशि में इजाफा किया जाना चाहिए।

मजदूरी बढ़ाने के लिए भी बने तंत्र

संसदीय समिति ने मजदूरों को नहीं मिल रहे भुगतान की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की है, साथ ही भविष्य में इन मजदूरों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए भुगतान राशि के लिए एक तंत्र स्थापित करने की भी सिफारिश की है। समिति ने कहा कि कई राज्यों में आज भी मजदूरी की दर 200 रुपए तक है जबकि जीवन यापन की लागत कई गुना बढ़ गई है। इस स्थिति से निपटने के लिए समिति ने मंत्रालय को अपने रुख पर फिर से विचार करने और मनरेगा के तहत मजदूरी बढ़ाने का एक तंत्र स्थापित करने की सिफारिश की है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button