राजनीति

हरियाणा विधानसभा में चंडीगढ़ व SYL पर प्रस्‍ताव सर्वसम्‍मति से पास, पंजाब विधानसभा के प्रस्‍ताव का विरोध, विज बोले- अंगद का पैर है हमारा फैसला

हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र में चंडीगढ़ और एसवाईल मुद्दे पर संकल्‍प पेश सर्वसम्‍मति से पारित हो गया। इसमेंं पंजाब से हिंदी भाषी क्षेत्र की भी हरियाणा ने मांग की है।

पंजाब एवं हरियाणा के बीच चंडीगढ़ के मुद्दे पर गर्मागर्मी के बीच हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र में संकल्‍प पत्र को सर्वसम्‍मति से पारित कर दिया गया है। इस संकल्‍प प्रस्‍ताव में पंजाब पर सीधा निशाना साधा गया है। संकल्‍प प्रस्‍ताव पर तीन घंटे की चर्चा के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बहस का जवाब दिया और इसके बाद प्रस्‍ताव को पारित कर दिया गया।

हरियाणा विधाानसभा के विशेष सत्र में राजधानी चंडीगढ़ को लेकर पंजाब विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव के विरोध और एसवाईएल निर्माण, हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को देने सहित हरियाणा के हितों से जुड़े मुद्दों के समर्थन में संकल्प प्रस्‍ताव सर्वसम्‍मति से पास हुआ। इसके बाद हरियाणा विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। पंजाब-हरियाणा की सरकारों के बीच तकरार तेजी होती जा रही है। आप की सरकार चंडीगढ़ को सिर्फ पंजाब की राजधानी बता रही है। इसके लिए वह विधानसभा में एक प्रस्ताव भी ले आई। वहीं, हरियाणा सरकार इसका विरोध कर रही है। हरियाणा के गृहमंत्री ने आज चंडीगढ़ के मुद्दे पर आर-पार वाला बयान दिया। हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि, चंडीगढ़ हरियाणा की राजधानी है। जब तक SYL का पानी नहीं मिलता, तब तक चंडीगढ़ हमारा है। हम पीछे नहीं हटेंगे।दरअसल, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान यह प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम से संबंधित सभी चिंताओं को दूर किए जाने तक केंद्र सरकार से मुद्दे पर कोई कदम नहीं उठाने का आग्रह किया। सदन ने केंद्र सरकार से उच्चतम न्यायालय के ओदश के अनुरूप सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण के लिए कदम उठाने का भी अनुरोध किया है। प्रस्ताव में कहा गया कि सदन पंजाब विधानसभा में एक अप्रैल को पारित प्रस्ताव पर चिंता व्यक्त करता है।

प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि पूर्णकालिक सदस्यों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार द्वारा बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) के नियमों में हालिया संशोधन पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 की भावना के खिलाफ है, जो नदी परियोजनाओं को पंजाब और हरियाणा की साझा संपत्ति मानता है। इन परिस्थितियों में इस सदन ने केंद्र सरकार से आग्रह करने का संकल्प किया है कि वह ऐसा कोई कदम न उठाए, जो मौजूदा संतुलन को बिगाड़े और जब तक पंजाब के पुनर्गठन से उत्पन्न सभी मुद्दों का समाधान न हो जाए, तब तक सद्भाव बनाए रखे।इससे पहले संकल्‍प प्रस्‍ताव पर करीब तीन घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सदन में सभी पक्षों की तरफ से 25 वक्ताओं ने संकल्‍प प्रस्‍ताव पर अपने विचार रखे हैं। सभी ने सरकार के संकल्प पत्र का समर्थन किया है।

जगबीर सिंह मलिक ने बताया कि 1955 से ही यह मुद्दा उठा था। 23 अप्रैल 1966 को बना शाह कमीशन में कहा गया था कि खरड तहसील हरियाणा का हिस्सा बनेगी। 31 मई को आए इस तथ्य के बाद नौ जून को केंद्र की कैबिनेट सरकार ने निर्णय लिया कि खरड़ तहसील का पंजाबी भाषी क्षेत्र पंजाब और हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को दिया जाए। चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। अगर चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश नहीं बनता तो यह मुद्दा खड़ा नहीं होता। 1970 में इंदिरा गांधी अवार्ड में कहा गया कि चंडीगढ़ पंजाब को और 105 हिंदी भाषी गांव हरियाणा को दिए जाएं। तीनों में अलग-अलग बातें हुईं हैं। तभी से यह समस्या बनी हुई है।

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