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ऑपरेशन ओपेरा: जब इजराइल ने इराक का न्यूक्लियर प्लांट बम गिराकर उड़ा दिया था, इराक था समझौते से हटकर परमाणु हथियारों को बनाने की जुगत में

Operation Opera: इस ऑपरेशन में इजराइली वायुसेना ने लड़ाकू जेट द्वारा इराक के ओसीराक परमाणु संयंत्र पर बमबारी कर ध्वस्त कर दिया गया था। इस हमले में 10 इराकी जवान और एक फ्रांसीसी नागरिक की मौत हो गई थी।

आज की कहानी इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद और वायुसेना के द्वारा किए गए एक गुप्त ऑपरेशन के बारे में है। इस ऑपरेशन में इजराइली वायुसेना ने लड़ाकू जेट द्वारा इराक के ओसीराक परमाणु संयंत्र पर बमबारी कर ध्वस्त कर दिया गया था। हालांकि, इस मिशन में इतना खतरा था कि ऑपरेशन में शामिल लोगों को पता था कि उनकी सुरक्षित वापसी काफी हद तक किस्मत पर निर्भर करती है। इस हमले में 10 इराकी जवान और एक फ्रांसीसी नागरिक की मौत हो गई थी।

सद्दाम हुसैन बना  तानाशाह 

70 के दशक के अंत तक, इराक का तानाशाह सद्दाम हुसैन बन गया।  सत्ता संभालने के बाद, इराक को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाना सद्दाम हुसैन का पहला सपना था। ऐसे में उसने फ्रांस से बिजली उत्पादन के लिए परमाणु संयंत्र के निर्माण के लिए उनकी मदद मांगी। फिर फ्रांस ने इस आश्वासन पर डील की कि परमाणु संयंत्र केवल बिजली उत्पादन के लिए इस्तेमाल होगा न कि किसी प्रकार के हथियार बनाने के लिए। इराक ने फ्रांस से एक ओसीरिस श्रेणी का परमाणु रिएक्टर खरीदा और फिर इसे बगदाद शहर से लगभग 17 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थापित किया।

ऑपरेशन लांच: ‘एमुनिशन हिल’

इजराइल को खबर लगी तो उसने फ्रांस और अमेरिका से बात की और अपने मोसाद एजेंट्स को काम पर लगा दिया। तभी मोसाद के जासूसों को पता चला कि इराक जुलाई, 1981 के अंत तक फ्रांस से प्लांट के लिए यूरेनियम का एक बड़ा शिपमेंट लेने जा रहा है। शिपमेंट को रोकने के लिए इजराइल ने फ्रांस से बात की लेकिन उसने संदेह को खारिज कर दिया। अब इजराइल के पास विकल्प केवल प्लांट को नष्ट करने का था। इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री मेनाकेम बेगिन ने ‘एमुनिशन हिल’ ऑपरेशन लांच किया, लेकिन विपक्षी पार्टी ने इस खतरनाक मिशन पर हामीं नहीं भरी। ऐसे में राजनीतिक तौर पर मिशन टाल दिया गया लेकिन मोसाद ने अंदरूनी तौर पर काम जारी रखा।

ऑपरेशन का कोड-नेम बदला 

ऑपरेशन का कोड-नेम सुरक्षा और गोपनीयता के चलते ‘एमुनिशन हिल’ से बदलकर ‘ओपेरा’ कर दिया गया था।  तय योजना के अनुसार, सेना और मोसाद ने 7 जून 1981, रविवार का दिन चुना क्योंकि इस दिन संयंत्र में फ्रांसीसी इंजीनियर की छुट्टी होती थी।  इजराइल नहीं चाहता था कि फ्रांस के इंजीनियरों को नुकसान पहुंचे वरना फ्रांस उस पर घातक एक्शन ले लेता। फिर हमले के दिन आठ एफ-16 लड़ाकू विमान और आठ एफ-15-ए जेट इराक के लिए उड़ चले।

रडार को धोखा और जॉर्डन के किंग ने देखे फाइटर जेट

जेट ने सऊदी अरब और जॉर्डन के वायुक्षेत्र में रडार से बचने के लिए नीचे उड़ान भरी और अधिकांश जगहों पर रडार और संचार प्रणाली को इजरायली बलों ने जाम कर दिया था। हालांकि, जब दो बार वह सऊदी और जॉर्डन वायुक्षेत्र में पकड़े गए तो उन्होंने सऊदी एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) को खुद को जॉर्डन का भटका जहाज बताया। जबकि जॉर्डन के एटीसी को सऊदी का भटका जहाज बताया। इस तरह इजराइल ने दोनों रडार सिस्टम को धोखा दे दिया।

हालांकि, काफी नीचे उड़ने के चलते अकाबा की खाड़ी में अपनी निजी नाव में छुट्टी मना रहे जॉर्डन के किंग हुसैन ने इन इजराइली जहाजों को देख लिया। वे तुरंत खतरा भांप गए और सद्दाम को संदेश भेजने को कहा कि हमला होने जा रहा है लेकिन सभी संचार प्रणाली जाम होने के चलते सद्दाम तक संदेश पहुंचा ही नहीं। राजा हुसैन को पता था कि इजराइल इस परमाणु संयंत्र को लेकर कई देशों से बात कर चुका है। वे यह भी जानते थे कि इजराइल और मोसाद चुप नहीं बैठेगा लेकिन इतनी जल्दी एक्शन लेगा इसका अंदाजा नहीं था।

ऑपरेशन 1 मिनट 20 सेकेंड में खत्म

1 मिनट 20 सेकेंड में ऑपरेशन ओपेरा के तहत इजरायली वायु सेना ने परमाणु संयंत्र पर कुल 16 बम गिराए गए और परमाणु संयंत्र को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। जब तक इराक की वायुसेना कोई कार्रवाई कर पाती तब तक सभी लड़ाकू विमान सुरक्षित लौट आए और इराकी परमाणु संयंत्र पूरी तरह नष्ट हो गया। बाद में यह भी पता चला था कि संयंत्र में मौजूद सुरक्षाकर्मी हमले से कुछ वक्त पहले रडार सिस्टम बंद कर खाना खाने चले गए थे।

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