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46000 अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया विरोध के बावजूद होगी शुरू, बहाली दो साल से है बंद, इन आठ राज्यों के 60 फीसदी जवान सेना में

अग्निपथ स्कीम के तहत भारत सरकार ने इंडियन ऑर्मी में तीनों सेनाओं के लिए 46000 अग्निवीरों के भर्ती का ऐलान किया है। हालांकि इस भर्ती के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन छिड़ गया है। संसद में इस साल केंद्रीय रक्षा मंत्रालय की ओर साझा किए गए डेटा के मुताबिक, 2018-19 में कुल 53,431 भर्तियां हुई थीं और 2019-20 में 80,572 लोग रखे गए।

अग्निपथ स्कीम के तहत भारत सरकार ने इंडियन ऑर्मी में तीनों सेनाओं के लिए 46000 अग्निवीरों के भर्ती का ऐलान किया है। हालांकि इस भर्ती के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन छिड़ गया है। इनमें से जिन राज्यों में आंदोलन छिड़ा है। मोदी सरकार की लाई जा रही इस भर्ती को लेकर जिन राज्यों में सबसे ज्यादा विरोध देखा जा रहा है उन्हीं राज्यों के 60 फीसदी नौजवान सेना में भर्ती में कामयाबी पाते हैं।

अगर हम दो साल पहले साल 2018-19 और 2019-20 में सेना की भर्तियों का आंकड़ा देखें तो ये बात हमे साफ तौर पर पता चल जाती है। अग्निपथ योजना के खिलाफ जिन राज्यों में प्रदर्शन किया जा रहा है उसमें मुख्य रूप से 11 राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश का नाम है।

(उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, जम्मू और कश्मीर,तेलंगाना, असम और पश्चिम बंगाल ) अगर हम इन राज्यों में सबसे ज्यादा ऑर्मी भर्ती में जाने वाले जवानों की बात करें तो इनमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। केंद्रीय रक्षा मंत्रालय की ओर साझा किए गए डेटा के मुताबिक संसद में इस साल 2018-19 में कुल 53,431 भर्तियां हुई थीं और 2019-20 में 80,572 लोग रखे गए।

इन राज्यों में हो रहा विरोध

देश के कई राज्यों में सरकार के अग्निपथ योजना का ऐलान करते ही एक साथ विरोध की चिंगारी भड़क उठी। विरोध प्रदर्शन वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, राजस्थान सहित कई राज्य हैं जहां से सेना में अधिक संख्या में जवानों की भर्ती होती है। फिलहाल इन सभी राज्यों में देखें तो इस योजना को लेकर बिहार में सबसे ज्यादा उग्र आंदोलन है। बिहार में विरोध प्रदर्शन को लेकर सबसे ज्यादा हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ के मामले सामने आए हैं।

सरकार 46000 भर्तियां करेगी विरोध के बावजूद

पूरे देश में हो रहे कड़े विरोध के बावजूद सरकार ने 46000 भर्तियों को मंजूरी दी है। केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति की बैठक में अग्निपथ योजना को मंजूरी मिल जाने के बाद मीडिया की उपस्थिति में इसकी घोषणा की थी। राजनाथ सिंह ने कहा था, “अग्निपथ भर्ती योजना एक क्रांतिकारी पहल है, जो सशस्त्र बलों को एक युवा ‘प्रोफाइल’ पहचान करेगी।” वहीं सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे के मुताबिक, “अग्निपथ योजना का उद्देश्य सशस्त्र बलों में भर्ती में आमूल-चूल परिवर्तन लाना है।” सरकार ने इसके लिए अग्निवीरों के लिए भर्ती से होने वाले फायदों के बारे में भी जानकारी दी है।

भर्तियां बंद हैं बीते दो सालों से 

सेना में बीते दो सालों से  भर्तियां बंद चल रही हैं कोरोना काल के चलते रद्द कर दीं गईं कई परीक्षाएं। इनमें से कुछ अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा बाकी थी तो कुछ अभ्यर्थियों का मेडिकल टेस्ट बाकी था। कोरोना महामारी की वजह से दो साल से भर्तियों पर रोक लगाई गई थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में केंद्र सरकार ने ऐसे अभ्यर्थियों की सुधि नहीं ली जिन्होंने कई परीक्षाएं पास कर ली थी और कुछ बाकी थी। इसबीच सरकार ने अग्निपथ योजना लांच करके इन अभ्यर्थियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। तैयारी कर रहे युवकों की भर्ती में हो रही देरी से अब उनकी नाराजगी फूट पड़ी है। और पूरे देश में आंदोलन की आग भड़क गई है।

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