मेरठ

मेरठ से हुई थी प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत, मेरठ में क्रांतिकारियों के दल ने बनवाया था आजादी के ध्वजारोहण का पहला तिरंगा

मेरठ: देश को आजाद कराने के लिए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत यहीं से हुई थी। यह बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि जब देश आजाद हुआ था, तब देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर जो तिरंगा फहराया था, उस तिरंगे को मेरठ में ही बनाया गया था।

मेरठ:  हर कोई मेरठ की क्रांति धरा से परिचित है। देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों की गुलामी की बेड़ियों को तोड़कर प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत यहीं से हुई थी। यह बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि जब देश आजाद हुआ था, तब देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर जो तिरंगा फहराया था, उस तिरंगे को मेरठ में ही बनाया गया था। इतिहासकार और झंडा बनाने वाले नत्थूराम सिंह के बेटे रमेश के अनुसार प्रथम स्वतंत्रता दिवस पर जो तिरंगा फहराया गया था उसका निर्माण उनके पिता द्वारा ही किया गया था।

नत्थूराम सिंह के बेटे रमेश का कहना है कि जब 16 अगस्त 1947 को देश में पहली बार तिरंगे को फहराया जाना था, तो उसके लिए आर्डर मेरठ गांधी आश्रम को मिला था। क्रांतिकारियों का एक दल मेरठ पहुंचा था। जिसके निर्देशन में तिरंगा का निर्माण किया गया। जैसे ही आर्डर मिला उसके पश्चात 2 दिन के अंदर रातों रात तिरंगे को तैयार करके टीम को सौंप दिया गया था। जिसके बाद 16 अगस्त 1947 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा लाल किले पर वही तिरंगा फहराया गया था।

गांधी आश्रम की बात की जाए तो खादी को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का गांधी आश्रम मेरठ काफी बड़ा गांधी आश्रम माना जाता है, क्योंकि उस दौर में इससे बड़ा कोई भी गांधी आश्रम का केन्द्र नहीं था। यही कारण है कि आज तक यहां के बने हुए तिरंगेझंडे की सभी जगह मांग रहती है। गांधी आश्रम में ठेके पर काम कर रहे रमेश कुमार आज भी अपनी पीढ़ियों की विरासत को संजोए हुए हैं। उनका कहना है कि जिस तरीके से उनके पिताजी झंडे को बनाते थे उन्ही की तरह वह भी 37 सालों से लगातार झंडे बनाते आ रहे हैं।

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